पटना (सं.सू.)। एक अप्रैल 2016 से बिहार में पूरी तरह से शराबबंदी है। इसके बाद झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और नेपाल से लगती सीमा के पार शराब दुकानों में बहार आ गई है। बिहार के सीमावर्ती जिलों के लोग वहां जाकर शराब पी रहे हैं। न पीएंगे न पीने देंगे के सरकारी संकल्प के विपरीत जा रहा है यह।
सूबे में पूर्ण शराबबंदी के बाद भारत-नेपाल सीमा पर स्थित नेपाल का मलंगवा शहर गुलजार हो गया है। शाम ढलते ही यहां मेला जैसा दृश्य बन जाता है। मुंहमांगा पैसा देकर लोग शराब खरीद रहे हैं। बॉर्डर पर रोज पहुंच रही शराब की बड़ी खेप से जिला प्रशासन की नींद उड़ गई है। बिहार के छह जिलों से हजारों पियक्कड़ शराब पीने के लिए नेपाल पहुंच रहे हैं। इस संबंध में खुफिया विभाग ने राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी है। रिपोर्ट के अनुसार, बसों व सीमा के रास्ते बिहार के सीतामढ़ी, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, किशनगंज व सुपौल में शराब की बड़ी खेप पहुंच रही है। इसे रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करने की जरुरत है। सीमावर्ती जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों ने पड़ोसी देश नेपाल से सहयोग की मांग की है। एसएसबी ने भी नेपाल की खुली सीमा से विगत 21 दिनों से खासकर शाम को पियक्कड़ों की आवाजाही की पुष्टि की है। इससे पूर्ण शराबबंदी को सफल बनाने में जुटे अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दो देश और दो कानून के कारण नेपाल सरकार पियक्कड़ों पर कार्रवाई से इनकार कर रही है।शराबबंदी में मदद के लिए दोनों देशों के बॉर्डर पर स्थित जिलों के पदाधिकारियों की लगातार बैठकें हो रही हैं। बैठकों में बिहार में पूर्ण शराबबंदी को सफल बनाने के लिए मदद मांगी जा रही है। लेकिन दोनों देशों का अलग कानून होने के कारण अधिकारी औपचारिक कार्रवाई से इनकार कर रहे हैं।
शराबबंदी से पहले जो बीयर 120 रुपए में मिलती थी वह अब 250 रुपए प्रति बोतल मिल रही है। सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद शराब माफियों ने शराब सप्लाई के तरीके को बदल डाला है। अब वह खुले बाजार में नहीं बिक कर चिह्नित ग्राहकों को एजेंट के जरिए सप्लाई की जा रही है। शराब के अवैध कारोबार में अब महिलाओं को लगाया गया है। महिलाएं बोरा में पत्ता कसकर और उसके बीच में शराब की बाेतल रखकर सीमा क्षेत्र में ला रही हैं। इस पार ग्राहक पहले से तैयार होते हैं। बोरे से निकालकर उन ग्राहकों को बोतल दे दिया जाता है। आर-पार के इस खेल की मनमानी कीमत वसूली जा रही है।
दो सीमाएं एक साथ। किशनगंज जिले की सीमा नेपाल के झापा से भी लगती है और पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर और दार्जिलिंग से भी। बिहार में शराबबंदी होते ही झापा और दिनाजपुर में मधुशालाएं बढ़ गईं। नेपाल और बंगाल में बिहार के ग्राहकों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। जिले का टेढ़ागाछ दिघलबैंक और ठाकुरगंज प्रखंड क्षेत्र सीधे नेपाल के बॉर्डर से जुड़ा हुआ है। यह अलग बात है कि बॉर्डर पर एसएसबी की तैनाती है, लेकिन खुली सीमा होने के कारण पगडंडी, खेत होकर नेपाल के गौरीगंज हाट, झापा और दिघलबैंक के सटे लहसुना सहित दो दर्जनों से ज्यादा जगहों पर नेपाली शराब पीने लोग चले ही जाते हैं। झापा से दिनाजपुर के सफर में तस्वीर साफ सामने आती है। बिहार से निकलो, बंगाल-नेपाल में पियो-पचाओ और लौट जाओ। दिनाजपुर के होटल वालों ने गुणा-भाग कर रखा है। ग्राहकों की संख्या 40 प्रतिशत बढ़ी है। जो लुढ़क जाते हैं, उनके सोने की व्यवस्था भी है। नशा उतारकर बिहार की सरहद में जाओ। कुछ लोग बोतल लेकर जाना चाहेंगे, तो ले जा सकते हैं। अपने सामान की रक्षा खुद करें, की शर्त पर।
किशनगंज जिला प्रशासन ने नेपाल के झापा जिला प्रशासन को ऐसे दो दर्जन लाेगों की सूची दी है, जो अवैध तरीके से शराब बिहार भेज रहे हैं। चूंकि नेपाल और बंगाल में शराब खुलेआम बिकती है। इसलिए ऊंचे दाम पर चोरी-छिपे बिहार भेजना फायदे का सौदा हो गया है। कभी कोई तस्कर पकड़ा भी जाता है तो भूलवश या संयोग से। तीन तरफ से पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे किशनगंज जिले के लोगों के लिए दालकोला, असुराढ़ागढ़, कानकी, पांजीपाडा, इस्लामपुर, विद्यानगर, सिंघियाजोत, मीरा मार रिसॉर्ट, सोनपुर सहित दो दर्जनों से ज्यादा छोटे-बड़े हाट बाजार में शराब पीने वालों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। शर्मा लाइन होटल के प्रबंधक ने कहा- नीतीश कुमार को आभार। हमारा कारोबार बढ़ा दिया।
कई लोग एक साथ मिले बाराचट्टी के भलुआ से लगे झारखंड के चोरदाहा में दाखिल होते हुए। मकसद, सबका एक ही था। बिहार की सरहद से निकलकर शराब पीना। भीड़ का यह सिलसिला चौपारण तक लगातार देखा गया। वहां बने लाइन होटलों और शराब की दुकानों पर इन दिनों बिहार के लोग ही दिखते हैं। शौकीन लोग। चूंकि इस इलाके में चौकसी न के बराबर है, इसलिए न आते हुए कोई टोकता है, न जाते हुए कोई रोकता है। शराब खरीदकर लोग आसानी से बिहार की सीमा में घुस भी रहे हैं। बिहार की सीमा से लगे झारखंड के कई दुकानदारों ने बताया कि बिहार में शराबबंदी के बाद उनकी दुकानों में शराब की बिक्री में खासा इजाफा हुआ है। पहले केवल स्थानीय लोगों के द्वारा ही उन दुकानों से शराब की खरीद की जाती थी। अब तो उस रास्ते से गुजरते हुए बिहार जाने वाले लोग यहां रुकते जरूर हैं। शराब पीते हैं या फिर खरीदते हैं और उसके बाद ही आगे की ओर बढ़ते हैं।
झारखंड के शराब कारोबारी इन दिनों काॅरपोरेट हो गए हैं। बिहार की सीमा से लगती दुकानों के बाहर बैनर-पोस्टरों की भरमार लग गई है। ब्रांड की ओर से मिले पोस्टर का इस्तेमाल दुकानवाले अब जमकर करने लगे हैं। नई-नई रेहड़ियां इन पोस्टरों के नीचे शाम को लगती हैं। इन रेहड़ियों पर देसी शराब चखने के साथ उपलब्ध है। खड़े-खड़े घूंट मारिए। जो अंग्रेजी शराब के शौकीन हैं, वह दुकानों से खरीदकर इन रेहड़ियों पर आते हैं और चखना खरीदकर गटकने लग जाते हैं। नशा उतरने पर अपने घरों को लौटने लगते हैं।
जय प्रभा सेतु पार करते ही बिहार के मांझी से यूपी के बलिया पहुंच जाते हैं लोग। इस पार के सरयू तट की बजाय इन दिनों उस पार के सरयू तट पर रौनक ज्यादा है। शाम ढलते ही बिहार के शराबी यूपी की सरहद में दाखिल हो जाते हैं। कुछ नशा पचाकर लौटते हैं तो कुछ झूमते हुए आ जाते हैं। बिहार के शराबियों के स्वागत के लिए उस पार नई-नई गुमटियां लग गई हैं। झोपड़ियों में शराब बिकने लगी हैं। सिताब दियारा सिवन राय के टोला के करीब चार किलोमीटर क्षेत्र में शराब की लाइसेंसी दुकानें हैं। आस-पास के इलाकों में कई होटल व ढाबे हैं। यहां देसी शराब उपलब्ध है। एक ढाबे वाले ने कहा- चौगुना कमा रहे हैं आजकल। मांझी व रिविलगंज सीमावर्ती क्षेत्र के ग्राहकों की संख्या बढ़ी है। पंचायत चुनाव के प्रत्याशी भी समर्थकों के साथ पहुंच कर यहां पार्टी कर रहे हैं। सीमावर्ती क्षेत्र में चेकपोस्ट की व्यवस्था नहीं होने एवं यूपी में आसानी से शराब की उपलब्धता से लोग चोरी-छिपे देसी शराब लेकर आ-जा रहे हैं। सरयू नदी के किनारे रहने वाले नाव के सहारे पशुओं के लिए चारा लाते हैं। चारा में ही शराब छिपाकर ले आते हैं। कुछ तो दूध के केन शराब ढो रहे हैं।
सीवान के रास्ते यूपी में प्रवेश करने वाले प्रत्याशी और उनके समर्थकों के वाहनों के लिए प्रतापपुर चीनी मिल परिसर का इलाका सेंटर बन गया है। दो बजे के बाद से ही यहां गाड़ियों का पहुंचना शुरू हो जाता है और यह सिलसिला देर शाम तक चलता है। आते हैं पीते हैं और पिलाते भी हैं। सीवान से जुड़ी यूपी सीमा में प्रतापपुर चीनी मिल परिसर, भवानीछापर, भींगारी बाजार, चकिया कोठी, सोहगरा, चनखी घाट में संचालित शराब दुकानों की स्थिति यह है कि यहां शाम होते मेला जैसा माहौल बन जा रहा है। प्रत्याशी गाड़ियों में समर्थकों को लेकर पहुंच रहे हैं। जमकर पीने और पिलाने के बाद शराब की भारी खेप भी अपने साथ गई गाड़ियों में भर लेते हैं और पुलिस की मदद से सीवान पहुंच जा रहे हैं।
गाजीपुर पहुंचने के लिए छह किलोमीटर पैदल दूरी तय कर रहे हैं बक्सर के लोग। ये पियक्कड़ लोग हैं। शाम को कर्मनाशा पुल पर नजारा ही अलग दिखा। पियक्कड़ टहलने के नाम पर बिहार से यूपी पहुंच रहे थे। कुछ तो गंगा नदी के किनारे चिलचिलाती धूप में नाव की सवारी कर उस पार शराब के लिए जाते नजर आए। कई तो केवट से मोल-तोल करते नजर आए। शाम होते ही युवाओं की टोली एक साथ बिहार-यूपी के बॉर्डर पर पहुंच जा रही है और बीयर पीकर बारी-बारी अपने घर लौट आ रही है। बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद कोई नाव की सवारी कर रहा है तो कोई ट्रेन की। कई लोगों ने तो ट्रेन को ही अपना सही रास्ता चुन लिया है। इसके लिए बक्सर के लोग दस रुपए खर्च कर पैसेंजर ट्रेन 511 अप से गहमर, भदौरा, दिलदारनगर तक चले जाते हैं और 566 डाउन पैसेंजर ट्रेन से शाम को घर लौट आ रहे हैं। यूपी की बारा पंचायत के कुतुबपर में गुरुवार को देसी शराब की एक दुकान खुल चुकी है। सायर, देवल व घरहिया में पहले से दुकानें हैं। बारा पंचायत में खुल रही शराब की दुकान के विरोध में जिला पंचायत सदस्य जमाल खान की अगुवाई में महापंचायत का आयोजन हुआ था। बावजूद यहां दुकान खुल ही गई। पियक्कड़ नैनीजोर के पीपापुल, बक्सर कोईलवर तटबंध से भी शराब ला रहे हैं। ब्यासी, प्राणपुर, जवहीं दियर आदि गांव के लोग तटबंध के जरिए आसानी से शराब मंगा रहे हैं। कई लोग ट्रेन से गहमर जा कर बोतलें लाकर बेच रहे हैं। लाभ प्रति बोतल 300 रुपए।
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