Friday, April 15, 2016

दवा व्यवसायी हत्याकांड में हाजीपुर का रूपेश भी था शामिल

पटना (सं.सू.)। राजधानी पुलिस ने दवा व्यवसायी अनिल अग्रवाल हत्याकांड में शामिल चार अपराधियों को दबोच लिया है। गिरफ्त में आए बदमाशों में वैशाली के कुनहरा रोड नरखास चौक निवासी रूपेश कुमार एवं जितेंद्र कुमार, आकाश उर्फ छोटू कुमार (तकियापर, दानापुर) और चंदन कुमार (महेंद्रु, सुल्तानगंज) शामिल हैं। सबकी उम्र 20 से 22 साल है। वहीं राकेश और मुकेश पुलिस गिरफ्त में नहीं आ सके। पुलिस का दावा है कि इन लोगों ने ही वारदात की प्लानिंग की थी। मकसद अनिल की दुकान में रखे पांच लाख रुपये लूटना था, लेकिन उन्होंने विरोध किया। बदमाशों से हाथापाई कर ली, जिसके बाद बदमाशों ने घबराकर अनिल को गोली मार दी। केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया था, मगर पटना पुलिस ने चार आरोपियों को 60 घंटे में दबोच लिया। बदमाशों के पास से दो देसी कट्टा, चार जिंदा कारतूस, चार मोबाइल और घटना में प्रयुक्त एक बाइक बरामद हुई। लेकिन हत्या में प्रयुक्त 9एमएम की पिस्टल नहीं मिली। इसका खुलासा गुरुवार को पुलिस कप्तान मनु महाराज ने किया। एसएसपी ने कहा कि राकेश और मुकेश की तलाश में छापेमारी चल रही है। कांड का स्पीडी ट्रायल कराया जाएगा।

पटना पुलिस ने दूसरी बार संवेदनशील मामले में एएनपीआर (ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडिंग) कैमरे की मदद से आरोपियों तक पहुंच पाई। कांड के बाद घटनास्थल और आसपास के इलाके में लगे सीसी कैमरे के फुटेज का 30 घंटे तक लगातार सूक्ष्म अवलोकन किया गया। कई कैमरों में पुलिस को हत्यारों की बाइक तो दिखी पर रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं दिख रहा था। एनआइटी मोड़ के पास लगे एएनपीआर कैमरे की जद से अपराधियों की बाइक गुजरी थी। इस कैमरे ने बाइक के रजिस्ट्रेशन नंबर की तस्वीर खींच ली, जिससे हत्यारों तक पहुंचना आसान साबित हुआ।

मुलाकात के एक-दो दिन बाद राकेश ने छोटू को कमरे पर बुलाया और अनिल को लूटने की प्लानिंग बताई। मुकेश भी वहां मौजूद था। बताया कि उसने और मुकेश ने जेल से छूटने के बाद जीएम रोड में लंबे समय तक हेल्पर का काम किया है। वे दुकान से दवा के कार्टन को गाड़ी और ठेले पर लादने का काम करते थे। इस दौरान उन्हें अनिल के बारे में जानकारी मिली कि उनके पास काफी पैसे हैं और वे मामले में लापरवाह हैं। हमेशा गल्ले में मोटी रकम छोड़कर चले जाते हैं। राकेश के कहने पर उसने रूपेश और जितेंद्र को बुलाया था। लूट की रकम में से छोटू और उसके दोस्तों को 1.5 लाख रुपये मिलने वाले थे।

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