नई दिल्ली (सं.सू.)। जिस इशरत जहां एनकाउंटर मामले को लेकर कांग्रेस ने नरेन्द्र मोदी और अमित शाह को निशाना बनाया था आज उसी का जिन्न उसे परेशान कर रहा है। इशरत मामले में डेविड हेडली के खुलासे के बाद से ही बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर है। इसी क्रम में सोमवार को एक और नया खुलासा हुआ। अंग्रजी अखबार टीओआई में छपी खबर के मुताबिक एक आरटीआई खुलासे में यह बात सामने आयी है कि तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने इशरत जहां एनकाउंटर मामले के पहले एफिडेविट में हस्ताक्षर किये थे जिसमे लिखा था कि वह लस्कर की आतंकी थी और उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी की हत्या के लिए अपने साथियों के साथ जा रही थी। मगर बाद में एफिडेविट को बदल दिया गया और इशरत के आतंकी होने की सच्चाई को छिपा लिया गया।इस खुलासे के बाद से बीजेपी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर मोदी के राजनैतिक करियर को ख़त्म करने की साजिश रचने का आरोप लगाया है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेण रिजीजू ने कहा है कि चिदंबरम ने गृहमंत्री के रूप में सही तरीके से अपने दायित्वों का निर्वाह नहीं किया। उन्होंने कहा कि चिदंबरम ने अपनी स्थिति का दुरुपयोग ही नहीं किया बल्कि उस पद की गरिमा को भी कम किया। उन्होंने एक आतंकवादी को निर्दोष घोषित कर दिया। रिजीजू ने कहा चिंदबरम पर निश्चित रूप से किसी का दबाव रहा होगा। वे खुद इस तरह का काम नहीं कर सकते। वे समझदार नेता हैं। रिजीजू ने कहा कि हम कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते लेकिन जनता के सामने तथ्य रख रहे हैं। गृह राज्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों और एजेंसियों पर दबाव बनाया गया। अधिकारियों का मनोबल गिराने का प्रयास किया गया। गौरतलब है कि इशरत जहां मामले में कुछ फाइलें गायब होने की जांच भी मंत्रालय में चल रही है।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेण रिजीजू ने कहा है कि चिदंबरम ने गृहमंत्री के रूप में सही तरीके से अपने दायित्वों का निर्वाह नहीं किया। उन्होंने कहा कि चिदंबरम ने अपनी स्थिति का दुरुपयोग ही नहीं किया बल्कि उस पद की गरिमा को भी कम किया। उन्होंने एक आतंकवादी को निर्दोष घोषित कर दिया। रिजीजू ने कहा चिंदबरम पर निश्चित रूप से किसी का दबाव रहा होगा। वे खुद इस तरह का काम नहीं कर सकते। वे समझदार नेता हैं। रिजीजू ने कहा कि हम कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते लेकिन जनता के सामने तथ्य रख रहे हैं। गृह राज्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों और एजेंसियों पर दबाव बनाया गया। अधिकारियों का मनोबल गिराने का प्रयास किया गया। गौरतलब है कि इशरत जहां मामले में कुछ फाइलें गायब होने की जांच भी मंत्रालय में चल रही है।
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