नई दिल्ली (सं.सू.)। कांग्रेस पार्टी के चहेते पत्रकारों में से एक राजदीप सरदेसाई कल अपने टीवी चैनल ‘आजतक’ में बेहद बेचैन थे! बेचैनी में वह न केवल अपनी सीट छोड़ कर बार-बार इधर से उधर चक्कर काट रहे थे, बल्कि स्वयं में कुछ बड़बड़ा भी रहे थे! बार-बार एक के बाद एक फोन करने से लेकर घड़ी पर उनकी टकटकी से पता चल रहा था कि वह बेहद तनाव में है! ‘आजतक’ के पत्रकार समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर क्या वजह है कि राजदीप सरदेसाई इतने उद्विग्न नजर आ रहे हैं?
रात AajTak के ’10तक’ शो के लिए वरिष्ठ संपादक पुण्य प्रसून वाजपेयी उपलब्ध नहीं थे। वह बंगाल में चुनाव करवेज में लगे हुए हैं। राजदीप ने कहा कि वह आज ’10तक’ करेंगे। राजदीप ने डॉ सुब्रहमण्यिन स्वामी को फोन किया। डॉ स्वामी ने उसी दिन बुधवार को राज्यसभा में अगस्ता वेस्टलैंड पर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी का नाम लेकर तहलका मचा दिया था।
पिछले दो साल में हो या फिर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार हो- कांग्रेस के धुर विरोधी भाजपा की इन दोनों सरकारों में भी किसी सांसद या मंत्री ने संसद के अंदर कांग्रेस के गांधी परिवार पर कोई आरोप नहीं लगाया था! यह पहली बार था जब भाजपा के एक सांसद ने संसद के अंदर ‘पवित्र गांधी परिवार’ की मुखिया सोनिया गांधी का नाम अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में लिया था। दशकों से चला आ रहा पार्टियों के बीच का अनकहा एथिक्स टूट चुका था!
परिणाम भी दिखा, पहली बार सोनिया गांधी और उनके राजनैतिक सलाहकार अहमद पटेल को सड़क पर उतर कर मीडिया के समक्ष अपनी निर्दोषिता की गुहार लगानी पड़ी। अन्यथा यूपीए के 10 साल में एक भी बड़ा पत्रकार इन दोनों में से किसी का साक्षात्कार नहीं ले सका था! टाइम बदल रहा है!
इसे राजदीप ने भी महसूस किया, जब डॉ. सुब्रहमनियन स्वामी ने उनसे कहा कि वह उनके टीवी शो में तभी आएंगे जब वह केवल वन-टू-वन सवाल करेंगे! वह कांग्रेसी प्रवक्ताओं के कुतर्कों का जवाब नहीं देंगे। राजदीप ने डॉ स्वामी को बुलाने के लिए हामी भर दी, लेकिन उनके शो में स्वामी के अपोजिट कांग्रेसी वकील अभिषेक मनुसिंघवी को ले आए। राजदीप ने अपनी बातें डॉ. स्वामी के मुंह में डालकर यह कहने की कोशिश की कि डॉ स्वामी के पास कोई सबूत नहीं है! सोनिया गांधी के खिलाफ और वह केवल सनसनी पैदा कर रहे हैं! राजदीप ने इस मामले में अभिषेक मनु सिंघवी को भी बीच में लाना चाहा, लेकिन स्वामी ने साफ कहा कि वह वन-टू-वन के करार को तोड़ रहे हैं! और यह भी कि वह बातों को घुमाने में माहिर हैं, लेकिन अपनी बात मेरे मुंह में डालकर कहलवाने की कोशिश न करें!
डॉ. स्वामी ने कहा कि उनके पास सोनिया गांधी द्वारा घूस लेने का पूरा सबूत है और वह इसे समय आने पर जांच एजेंसी को देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि ED की अब तक के जांच से वह संतुष्ट हैं। राजदीप ने जब कहा कि आप सबूत दिखाइए तो डॉ स्वामी ने कहा, आपको क्यों दिखाऊं? मैं यह संबंधित एजेंसी को दूंगा। और आज तक आप लोग हमेशा यही कहते रहे हो कि स्वामी के पास सबूत नहीं है, लेकिन हर केस में अदालत में मेरे द्वारा प्रस्तुत सबूत से आपलोग चुप हो जाते हो! स्वामी ने कहा कि चूंकि आपने वन-टू-वन के करार को तोड़ा है, इसलिए मैं जा रहा हूं और वह चले गए।
शो खत्म करने के तुरंत बाद राजदीप टीवी टूडे के स्टूडियो से बाहर भागे और डॉ स्वामी को फोन किया। उस वक्त भी उनके चेहरे का डर साफ देखा जा रहा था! अगले दिन यानी आज गुरुवार को राज्यसभा में डॉ. स्वामी ने जब अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में भारतीय पत्रकारों की संलिप्तता से जुड़े मुद्दे को उठाना चाहा तो कांग्रेस भड़क गई और उन्हें मुद्दे को उठाने नहीं दिया! इससे पहले डॉ. स्वामी ने एक न्यूज लिंक ट्वीट किया था। उस लिंक को पढ़ने और राज्यसभा में उनके उठाए जाने वाले सवाल की कड़ी को जोड़कर देखने पर राजदीप सरदेसाई के उस डर का पता चल गया, जो अगस्ता वेस्टलैंड मामले के सामने आने के बाद से उनके और उनके पूर्व सहयोगी और एनडीटीवी की पत्रकार व 2जी घोटाले में मशहूर पावर ब्रोकर के रूप में सामने आ चुकी बरखा दत्त के चेहरे पर लगातार देखा जा रहा है!
डॉ. स्वामी के उस ट्वीट पर सबूतों के साथ भेजे एक उस pgurus.com के लेख का हिंदी अनुवाद और मूल लिंक इस प्रकार है ताकि वह पूरा सबूत देख सकें और अंग्रेजी में पूरी रिपोर्ट पढ़ सकें।
भारतीय पत्रकारों को मैनेज करने पर अगस्ता ने खर्च किए 45 करोड़ रुपए!
वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में दुबई में बैठे जिस बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल का नाम बार-बार आ रहा है, उसे AgustaWestland की मूल कंपनी Finmeccanica ने भारतीय पत्रकारों को मैनेज करने के लिए साल 2010 से 2012 के बीच करीब 6 मिलियन यूरो (करीब 45 करोड़) रुपए दिए! दस्तावेजों से यह जाहिर होता है कि Finmeccanica ने मिशेल की दुबई स्थित कंपनी Global Services FZE के साथ करार किया। आपको ज्ञात होना चाहिए कि अगस्ता वेस्टलैंड का डील वर्ष 2009 में फाइनल हुआ था और डील के फाइनल होते ही इसमें ली गई घूस आदि की खबर को दबाए रखने के अर्थात मीडिया मैनेजमेंट के लिए सन् 2010 में Finmeccanica ने मिशेल की कंपनी Global Services FZE से करार किया।
मिशेल की कंपनी को Finmeccanica ने मीडिया मैनेजमेंट के लिए 2 लाख 75 हजार यूरो प्रति महीने के हिसाब से अगले 22 महीने तक पेड किया। क्रिश्चियन मिशेल दिल्ली के The Claridges होटल से अपनी गतिविधियों को संचालित करता था और वहीं रहता था। उसका काम पत्रकारों व नौकरशाहों को पैसे खिलाकर मैनेज करना था ताकि हो चुके इस डील में आगे किसी भी तरह का अवरोध उत्पन्न न हो।
भारत की पूरी पत्रकारिता के गंदा चेहरे का सबसे बड़ा सबूत यही है कि 2010 से 2012 के बीच अगस्ता वेस्टलैंड को लेकर हुए डील पर न एक भी लाइन किसी अखबार में लिखा गया और न ही एक भी खबर न्यूज चैनलों में ही कोई खबर चला! अगस्ता पर पहली खबर का प्रकाशन व प्रसारण 2013 में उस वक्त शुरू हुआ जब इटली की जांच एजेंसी ने Finmeccanica के प्रमुख ओरसी को घूस देने के मामले में गिरफ्तार किया। अर्थात जब भारतीय मीडिया के लिए यह मजबूरी हो गई तभी इस मामले में खबर का प्रकाशन व प्रसारण हुआ! अन्यथा उससे पहले मिशेल के 6 मिलियन यूरे के कमाल से भारतीय पत्रकारों का कलम और कैमरा दोनों बंद रहा!
मशहूर वामपंथी अखबार ‘द हिंदू’ ने 26 अप्रैल 2016 को क्रिश्चियन मिशेल जेम्स द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कांग्रेस नेताओं को लिखे पत्र का प्रकाशन किया, जिसमें केवल जेम्स नाम से हस्ताक्षर किया गया है। उल्लेखनीय है कि ‘द हिंदू’ ही वह अखबार है, जिसने मिशेल के पत्र को आधार बनाकर यह झूठ भी प्रकाशिता किया कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली के प्रधानमंत्री के बीच यह करार हुआ है कि भारतीय मछुवारों के हत्यारे इटली के मरीन को भारत छोड़ देता, जिसके बदले में इटली गांधी परिवार व कांग्रेस नेताओं को फंसाने के लिए सबूत देगा!
गुलामनबी आजाद ने बुधवार को इसी अखबार को कोट करते हुए यह झूठ बोला, लेकिन सदन के नेता अरुण जेटली ने साफ कहा कि भारतीय व इटली के प्रधानमंत्री के बीच कहीं कोई बैठक या बातचीत ही नहीं हुई और यह केवल मनगढंत कहानी है!
सदन के नेता के स्पष्टीकरण के बाद गुलामनबी या फिर ‘द हिंदू’ को सबूत पेश करना चाहिए था, लेकिन चूंकि झूठ बोलकर में सोनिया गांधी के प्रति सहानुभूति पैदा करने की कोशिश की गई थी, इसलिए न कांग्रेस और न ही ‘द हिंदू’ ही जेटली द्वारा संसद में किए गए दावे को झुठला सकी!
हां, तो ‘द हिंदू’ ने मिशेल जेम्स को कोट करते हुए यह खबर प्रकाशित किया कि उसकी कंपनी और अगस्ता वेस्टलैंड के बीच किसी तरह का समझौता नहीं हुआ और इस बारे में जो भी बातें कहीं गई है, उसका कोई आधार नहीं है। यहां दिए गए मूल खबर के लिंक को ओपन कर मिशेल व अगस्ता की मूल कंपनी के बीच हुए करार की कॉपी पाठक देख सकते हैं।
खबर कहती है कि ‘द हिंदू’ सहित बरखा दत्ता व राजदीप सरदेसाई बिचौलिए मिशेल द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को लिखे जिस पत्र का बार-बार जिक्र कर रहे हैं, वह पत्र आखिर उन्हें कहां से मिला? प्रधानमंत्री कार्यालय ने तो यह उपलब्ध कराया नहीं होगा तो क्या बिचौलिए मिशेल से इन पत्रकारों को यह पत्र मिला? और यदि हां तो यह साबित करता है कि मिशेल ने मीडिया मैनेजमेंट के लिए जो 45 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, उसमें ‘द हिंदू’ राजदीप सरदेसाई, बरखा दत्ता आदि साझीदार हैं!
इसलिए यह जांच का विषय है कि आखिर बिचौलिए मिशेल द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र की कापी इन पत्रकारों के पास कहां से पहुंची? और जब मिशेल और अगस्ता के बीच करार का दस्तावेज मौजूद है तो मिशेल के उस झूठे पत्र का ये पत्रकार बार-बार नाम क्यों ले रहे हैं? बड़ा सवाल यही है कि एक बिचौलिए के झूठे पत्र और बयान को यह पत्रकार बार-बार क्यों उछाल रहे हैं? इन्हें हथियारों की दलाली करने वाले एक व्यक्ति पर इतना भरोसा क्यों है? यह यह 6 मिलियन यूरो की खाई हुई दलाली का असर है?
ऐसा नहीं है कि यह केवल कयासबाजी है। मूल खबर के अनुसार, पत्रकार Raju Santhanam से Enforcement Directorate(ED) ने मोदी सरकार आने के बाद 2015 में पूछताछ की है, जिसमें उसने यह स्वीकार किया है कि उसने मिशेल जेम्स से लाभ प्राप्त किया है। ईडी राजू को गवाह के तौर पर पेश करने की तैयारी कर रही है। कहीं यही कारण तो नहीं है कि राजदीप सरदेसाई और बरखा दत्त जैसे पत्रकारों के चेहरे पर हवाईयां उड़ रही हैं?
जांच में यह भी पता चला है हथियार डीलर अभिषेक वर्मा ने मिशेल जेम्स के लिए पत्रकारों को मैनेज किया था। अभिषेक वर्मा वर्तमान में जेल में है। अभिषेक वर्मा मशहूर साहित्यकार व पत्रकार श्रीकांत वर्मा का बेटा है। श्रीकांत वर्मा दो बार कांग्रेस से राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। यही नहीं, हिंदी के साहित्यकार श्रीकांत वर्मा 70 के दशक में राजीव गांधी व सोनिया गांधी को हिंदी सिखाने वाले शिक्षक रह चुके हैं और गांधी परिवार के बेहद करीब रहे हैं।
रात AajTak के ’10तक’ शो के लिए वरिष्ठ संपादक पुण्य प्रसून वाजपेयी उपलब्ध नहीं थे। वह बंगाल में चुनाव करवेज में लगे हुए हैं। राजदीप ने कहा कि वह आज ’10तक’ करेंगे। राजदीप ने डॉ सुब्रहमण्यिन स्वामी को फोन किया। डॉ स्वामी ने उसी दिन बुधवार को राज्यसभा में अगस्ता वेस्टलैंड पर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी का नाम लेकर तहलका मचा दिया था।
पिछले दो साल में हो या फिर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार हो- कांग्रेस के धुर विरोधी भाजपा की इन दोनों सरकारों में भी किसी सांसद या मंत्री ने संसद के अंदर कांग्रेस के गांधी परिवार पर कोई आरोप नहीं लगाया था! यह पहली बार था जब भाजपा के एक सांसद ने संसद के अंदर ‘पवित्र गांधी परिवार’ की मुखिया सोनिया गांधी का नाम अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाले में लिया था। दशकों से चला आ रहा पार्टियों के बीच का अनकहा एथिक्स टूट चुका था!
परिणाम भी दिखा, पहली बार सोनिया गांधी और उनके राजनैतिक सलाहकार अहमद पटेल को सड़क पर उतर कर मीडिया के समक्ष अपनी निर्दोषिता की गुहार लगानी पड़ी। अन्यथा यूपीए के 10 साल में एक भी बड़ा पत्रकार इन दोनों में से किसी का साक्षात्कार नहीं ले सका था! टाइम बदल रहा है!
इसे राजदीप ने भी महसूस किया, जब डॉ. सुब्रहमनियन स्वामी ने उनसे कहा कि वह उनके टीवी शो में तभी आएंगे जब वह केवल वन-टू-वन सवाल करेंगे! वह कांग्रेसी प्रवक्ताओं के कुतर्कों का जवाब नहीं देंगे। राजदीप ने डॉ स्वामी को बुलाने के लिए हामी भर दी, लेकिन उनके शो में स्वामी के अपोजिट कांग्रेसी वकील अभिषेक मनुसिंघवी को ले आए। राजदीप ने अपनी बातें डॉ. स्वामी के मुंह में डालकर यह कहने की कोशिश की कि डॉ स्वामी के पास कोई सबूत नहीं है! सोनिया गांधी के खिलाफ और वह केवल सनसनी पैदा कर रहे हैं! राजदीप ने इस मामले में अभिषेक मनु सिंघवी को भी बीच में लाना चाहा, लेकिन स्वामी ने साफ कहा कि वह वन-टू-वन के करार को तोड़ रहे हैं! और यह भी कि वह बातों को घुमाने में माहिर हैं, लेकिन अपनी बात मेरे मुंह में डालकर कहलवाने की कोशिश न करें!
डॉ. स्वामी ने कहा कि उनके पास सोनिया गांधी द्वारा घूस लेने का पूरा सबूत है और वह इसे समय आने पर जांच एजेंसी को देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि ED की अब तक के जांच से वह संतुष्ट हैं। राजदीप ने जब कहा कि आप सबूत दिखाइए तो डॉ स्वामी ने कहा, आपको क्यों दिखाऊं? मैं यह संबंधित एजेंसी को दूंगा। और आज तक आप लोग हमेशा यही कहते रहे हो कि स्वामी के पास सबूत नहीं है, लेकिन हर केस में अदालत में मेरे द्वारा प्रस्तुत सबूत से आपलोग चुप हो जाते हो! स्वामी ने कहा कि चूंकि आपने वन-टू-वन के करार को तोड़ा है, इसलिए मैं जा रहा हूं और वह चले गए।
शो खत्म करने के तुरंत बाद राजदीप टीवी टूडे के स्टूडियो से बाहर भागे और डॉ स्वामी को फोन किया। उस वक्त भी उनके चेहरे का डर साफ देखा जा रहा था! अगले दिन यानी आज गुरुवार को राज्यसभा में डॉ. स्वामी ने जब अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में भारतीय पत्रकारों की संलिप्तता से जुड़े मुद्दे को उठाना चाहा तो कांग्रेस भड़क गई और उन्हें मुद्दे को उठाने नहीं दिया! इससे पहले डॉ. स्वामी ने एक न्यूज लिंक ट्वीट किया था। उस लिंक को पढ़ने और राज्यसभा में उनके उठाए जाने वाले सवाल की कड़ी को जोड़कर देखने पर राजदीप सरदेसाई के उस डर का पता चल गया, जो अगस्ता वेस्टलैंड मामले के सामने आने के बाद से उनके और उनके पूर्व सहयोगी और एनडीटीवी की पत्रकार व 2जी घोटाले में मशहूर पावर ब्रोकर के रूप में सामने आ चुकी बरखा दत्त के चेहरे पर लगातार देखा जा रहा है!
डॉ. स्वामी के उस ट्वीट पर सबूतों के साथ भेजे एक उस pgurus.com के लेख का हिंदी अनुवाद और मूल लिंक इस प्रकार है ताकि वह पूरा सबूत देख सकें और अंग्रेजी में पूरी रिपोर्ट पढ़ सकें।
भारतीय पत्रकारों को मैनेज करने पर अगस्ता ने खर्च किए 45 करोड़ रुपए!
वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में दुबई में बैठे जिस बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल का नाम बार-बार आ रहा है, उसे AgustaWestland की मूल कंपनी Finmeccanica ने भारतीय पत्रकारों को मैनेज करने के लिए साल 2010 से 2012 के बीच करीब 6 मिलियन यूरो (करीब 45 करोड़) रुपए दिए! दस्तावेजों से यह जाहिर होता है कि Finmeccanica ने मिशेल की दुबई स्थित कंपनी Global Services FZE के साथ करार किया। आपको ज्ञात होना चाहिए कि अगस्ता वेस्टलैंड का डील वर्ष 2009 में फाइनल हुआ था और डील के फाइनल होते ही इसमें ली गई घूस आदि की खबर को दबाए रखने के अर्थात मीडिया मैनेजमेंट के लिए सन् 2010 में Finmeccanica ने मिशेल की कंपनी Global Services FZE से करार किया।
मिशेल की कंपनी को Finmeccanica ने मीडिया मैनेजमेंट के लिए 2 लाख 75 हजार यूरो प्रति महीने के हिसाब से अगले 22 महीने तक पेड किया। क्रिश्चियन मिशेल दिल्ली के The Claridges होटल से अपनी गतिविधियों को संचालित करता था और वहीं रहता था। उसका काम पत्रकारों व नौकरशाहों को पैसे खिलाकर मैनेज करना था ताकि हो चुके इस डील में आगे किसी भी तरह का अवरोध उत्पन्न न हो।
भारत की पूरी पत्रकारिता के गंदा चेहरे का सबसे बड़ा सबूत यही है कि 2010 से 2012 के बीच अगस्ता वेस्टलैंड को लेकर हुए डील पर न एक भी लाइन किसी अखबार में लिखा गया और न ही एक भी खबर न्यूज चैनलों में ही कोई खबर चला! अगस्ता पर पहली खबर का प्रकाशन व प्रसारण 2013 में उस वक्त शुरू हुआ जब इटली की जांच एजेंसी ने Finmeccanica के प्रमुख ओरसी को घूस देने के मामले में गिरफ्तार किया। अर्थात जब भारतीय मीडिया के लिए यह मजबूरी हो गई तभी इस मामले में खबर का प्रकाशन व प्रसारण हुआ! अन्यथा उससे पहले मिशेल के 6 मिलियन यूरे के कमाल से भारतीय पत्रकारों का कलम और कैमरा दोनों बंद रहा!
मशहूर वामपंथी अखबार ‘द हिंदू’ ने 26 अप्रैल 2016 को क्रिश्चियन मिशेल जेम्स द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व कांग्रेस नेताओं को लिखे पत्र का प्रकाशन किया, जिसमें केवल जेम्स नाम से हस्ताक्षर किया गया है। उल्लेखनीय है कि ‘द हिंदू’ ही वह अखबार है, जिसने मिशेल के पत्र को आधार बनाकर यह झूठ भी प्रकाशिता किया कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इटली के प्रधानमंत्री के बीच यह करार हुआ है कि भारतीय मछुवारों के हत्यारे इटली के मरीन को भारत छोड़ देता, जिसके बदले में इटली गांधी परिवार व कांग्रेस नेताओं को फंसाने के लिए सबूत देगा!
गुलामनबी आजाद ने बुधवार को इसी अखबार को कोट करते हुए यह झूठ बोला, लेकिन सदन के नेता अरुण जेटली ने साफ कहा कि भारतीय व इटली के प्रधानमंत्री के बीच कहीं कोई बैठक या बातचीत ही नहीं हुई और यह केवल मनगढंत कहानी है!
सदन के नेता के स्पष्टीकरण के बाद गुलामनबी या फिर ‘द हिंदू’ को सबूत पेश करना चाहिए था, लेकिन चूंकि झूठ बोलकर में सोनिया गांधी के प्रति सहानुभूति पैदा करने की कोशिश की गई थी, इसलिए न कांग्रेस और न ही ‘द हिंदू’ ही जेटली द्वारा संसद में किए गए दावे को झुठला सकी!
हां, तो ‘द हिंदू’ ने मिशेल जेम्स को कोट करते हुए यह खबर प्रकाशित किया कि उसकी कंपनी और अगस्ता वेस्टलैंड के बीच किसी तरह का समझौता नहीं हुआ और इस बारे में जो भी बातें कहीं गई है, उसका कोई आधार नहीं है। यहां दिए गए मूल खबर के लिंक को ओपन कर मिशेल व अगस्ता की मूल कंपनी के बीच हुए करार की कॉपी पाठक देख सकते हैं।
खबर कहती है कि ‘द हिंदू’ सहित बरखा दत्ता व राजदीप सरदेसाई बिचौलिए मिशेल द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को लिखे जिस पत्र का बार-बार जिक्र कर रहे हैं, वह पत्र आखिर उन्हें कहां से मिला? प्रधानमंत्री कार्यालय ने तो यह उपलब्ध कराया नहीं होगा तो क्या बिचौलिए मिशेल से इन पत्रकारों को यह पत्र मिला? और यदि हां तो यह साबित करता है कि मिशेल ने मीडिया मैनेजमेंट के लिए जो 45 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, उसमें ‘द हिंदू’ राजदीप सरदेसाई, बरखा दत्ता आदि साझीदार हैं!
इसलिए यह जांच का विषय है कि आखिर बिचौलिए मिशेल द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र की कापी इन पत्रकारों के पास कहां से पहुंची? और जब मिशेल और अगस्ता के बीच करार का दस्तावेज मौजूद है तो मिशेल के उस झूठे पत्र का ये पत्रकार बार-बार नाम क्यों ले रहे हैं? बड़ा सवाल यही है कि एक बिचौलिए के झूठे पत्र और बयान को यह पत्रकार बार-बार क्यों उछाल रहे हैं? इन्हें हथियारों की दलाली करने वाले एक व्यक्ति पर इतना भरोसा क्यों है? यह यह 6 मिलियन यूरो की खाई हुई दलाली का असर है?
ऐसा नहीं है कि यह केवल कयासबाजी है। मूल खबर के अनुसार, पत्रकार Raju Santhanam से Enforcement Directorate(ED) ने मोदी सरकार आने के बाद 2015 में पूछताछ की है, जिसमें उसने यह स्वीकार किया है कि उसने मिशेल जेम्स से लाभ प्राप्त किया है। ईडी राजू को गवाह के तौर पर पेश करने की तैयारी कर रही है। कहीं यही कारण तो नहीं है कि राजदीप सरदेसाई और बरखा दत्त जैसे पत्रकारों के चेहरे पर हवाईयां उड़ रही हैं?
जांच में यह भी पता चला है हथियार डीलर अभिषेक वर्मा ने मिशेल जेम्स के लिए पत्रकारों को मैनेज किया था। अभिषेक वर्मा वर्तमान में जेल में है। अभिषेक वर्मा मशहूर साहित्यकार व पत्रकार श्रीकांत वर्मा का बेटा है। श्रीकांत वर्मा दो बार कांग्रेस से राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। यही नहीं, हिंदी के साहित्यकार श्रीकांत वर्मा 70 के दशक में राजीव गांधी व सोनिया गांधी को हिंदी सिखाने वाले शिक्षक रह चुके हैं और गांधी परिवार के बेहद करीब रहे हैं।
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