सिवान (सं.सू.)। तेजाब कांड में पहले और अपने दो छोटे बेटों और बाद में इस मामले में चश्ददीद गवाह होने का दावा करने वाले अपने सबसे बड़े बेटे यानी तीन बेटों को गंवाने वाले व्यवसायी चंद्रकेश्वर प्रसाद और उनकी पत्नी कलावती भावुक हो गए। गोशाला रोड स्थित अपने आवास पर मायूसी की हालत में बैठे दंपती को जब विशेष अदालत के फैसले का पता चला तो उनकी आंखों से आंसू बह निकले। कलावती कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी लेकिन चंदा बाबू ने कहा कि भगवान का ही सहारा है।
मेरे तीन सहारे तो चले गए। अब एक बेटा है उसी को देखकर जी रहे हैं। चंदाबाबू ने कहा कि 16 अगस्त 2004 के बाद एक दिन भी चैन की नींद नहीं सो पाए हैं। अदालत इस मामले के दोषियों को कोई भी सजा दे दे, उन्हें फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उनके जीवन में खुशियां नहीं आने वाली हैं। उनके लिए किसी की सजा का कोई मतलब नहीं है। सरकार या कोई अदालत उनके जीवन में खुशी नहीं ला सकती। चंदा बाबू ने कहा कि उनका परिवार हर पल भय के साये में जीता है।
मेरे तीन सहारे तो चले गए। अब एक बेटा है उसी को देखकर जी रहे हैं। चंदाबाबू ने कहा कि 16 अगस्त 2004 के बाद एक दिन भी चैन की नींद नहीं सो पाए हैं। अदालत इस मामले के दोषियों को कोई भी सजा दे दे, उन्हें फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उनके जीवन में खुशियां नहीं आने वाली हैं। उनके लिए किसी की सजा का कोई मतलब नहीं है। सरकार या कोई अदालत उनके जीवन में खुशी नहीं ला सकती। चंदा बाबू ने कहा कि उनका परिवार हर पल भय के साये में जीता है।
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