Saturday, December 19, 2015

याकूब के लिए आधी रात में की थी सुनवाई,निर्भया को थमा दी तारीख


नई दिल्ली (सं.सू.)। क्या विडंबना है कि एक आतंकवादी के लिए तो सुप्रीम कोर्ट आधी रात को सुनवाई करती है लेकिन बलत्कृत निर्भया के मामले में तत्काल सुनवाई की कोई आवश्यकता महसूस नहीं करती और तारीख थमा देती है ठीक राजकुमार संतोषीकृत दामिनी फिल्म की तरह। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के दोहरे रवैये से निर्भया के नाबालिग बलात्कारी की आज होनेवाली रिहाई का रास्ता जरूर साफ हो गया है।

हुआ यह कि वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म मामले के नाबालिग दोषी (अब बालिग) की रविवार को होने जा रही रिहाई के खिलाफ दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने शनिवार की मध्यरात्रि में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। संभावना जताई जा रही है कि निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली और मुंबई बम विस्फोट कांड के दोषी याकूब मेमन की तर्ज पर सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर सकता है। 1दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल अपने वकील गुरुकृष्ण के साथ 12 बजे 6 मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर के आवास पर पहुंचीं और अर्जी दी। इसके बाद मालीवाल ने बताया कि रजिस्ट्रार ने बुलाया है और वह सुप्रीम कोर्ट के लिए रवाना हो रही हैं। रजिस्ट्रार ने नाबालिग दोषी से जुड़े सभी कागजात भी तलब किए हैं। दिल्ली महिला आयोग के सूत्रों के मुताबिक मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले को वेकेशन बेंच को सौंपा है। रात करीब 1।30 बजे स्वाति जस्टिस एके गोयल के आवास पर पहुंच गई थीं।

इससे पहले दिन में स्वाति मालीवाल ने शनिवार को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से मिलकर राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बातचीत की और नाबालिग दोषी को छोड़े जाने के मुद्दे पर बात की। बातचीत के बाद उन्होंेने एक ज्ञापन भी सौंपा जिसमें दुष्कर्म में पकड़े जाने वाले नाबालिग को सजा देने के प्रावधान को सरल बनाने की बात थी। उपराष्ट्रपति से मिलने के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि पूरे देश मे जितनी भी दुष्कर्म पीड़िताएं हैं उसका हवाला देकर मैंने उपराष्ट्रपति से कहा है कि राज्य सभा में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट लंबित है और उसे पास कराया जाए।

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