हाजीपुर (सं.सू.)। बिहार के विभिन्न भागों में प्रतिदिन लाखों का व्यापार करने वाले व्यवसायी उपभोक्ताओं को खरीद की जाने वाली वस्तुओं का कैशमेमो न देकर जहां नियमों की अवहेलना कर रहे हैं वहीं सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का हर माह चूना लगा रहे हैं। वहीं संबंधित पदाधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं।
जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा टैक्स नियमावली में स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया है कि किसी भी सामान की खरीददारी करने वाले उपभोक्ताओं को कैशमेमो देना अनिवार्य है। कैशमेमो में व्यापारियों के प्रतिष्ठान का नाम, टीन नंबर, वैट नंबर, वैट दर, टैक्स, इनवाइस एवं रिटेल इनवाइस अंकित करना अनिवार्य है। इसके बावजूद राज्य के अधिकांश व्यापारी सरकार के उक्त निर्देश की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इससे एक ओर जहां सरकार को राजस्व की क्षति हो रही है वहीं उपभोक्ताओं को भी नुकसान हो रहा है। जब कोई उपभोक्ता संबंधित दुकानदारों से कैशमेमो की मांग करते हैं तो दुकानदार उन्हें सादा कागज पर लिखकर पूर्जा थमा देते हैं और कहते हैं कि ओरिजनल लेने पर तमाम तरह के टैक्स भी देने पड़ेंगे, जिस वजह से उपभोक्ता भी खामोश हो जाते हैं। बिहार के दर्जनों ऐसे बाजार हैं जहां के थोक विक्रेताओं ने वाणिज्यकर विभाग से अपना रजिस्ट्रशन करा रखा है जबकि अधिकांश थोक विक्रेता बिना रजिस्ट्रेशन के ही अपना व्यापार कर रहे हैं। स्थिति ऐसी है कि राज्य के दस प्रतिशत व्यापारी ही सरकार को टैक्स देते हैं। इसके बावजूद विभाग खामोश बैठा है। आखिर इस खामोशी का राज क्या है ?
हाजीपुर गुदरी रोड के कुछ थोक विक्रेताओं ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि संबंधित पदाधिकारियों को इसके एवज में उन लोगों को संघ के माध्यम से तय राशि पहुंचा दी जाती है। अगर छापेमारी करना जरूरी होता है तो इसकी पूर्व सूचना विभाग द्वारा दे दी जाती है। व्यापारियों ने बताया कि सैकड़ों ऐसे थोक विक्रेता हैं जो बिना निबंधन के ही संबंधित अधिकारी को खुश कर अपना कारोबार कर रहे हैं। कुल मिलाकर बिहार में पदाधिकारियों के रहमोकरम पर जहां दुकानें फल फूल रही हैं वहीं सरकार व आम लोगों को चूना लग रहा है।
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