मधेपुरा (सं.सू.)। प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद बाढ़ राहत घोटाले में शामिल अधिकारियों व कर्मचारियों पर एक बार फिर तलवार लटकने लगी है। राज्य सरकार ने जिलाधिकारी से मामले की जांच कराकर एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट मांगी है।
जिले में वर्ष 2008 में आए कोसी महाप्रलय के समय राहत के लिए राज्य सरकार से मिली धनराशि की जमकर बंटरबांट हुई थी। उस समय अधिकारियों व कर्मचारियों ने करीब 30 लाख रुपये से भी ज्यादा का गठन किया था। सबसे अधिक राशि की बंदरबांट कुमारखंड प्रखंड में हुई थी। राज्य आपदा प्रबंधन मंत्री प्रो.चंद्रशेखर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी से जांच कराकर रिपोर्ट मांगी है। जिलाधिकारी ने एडीएम कन्हैया प्रसाद सिंह को जांच का जिम्मा सौंपा है। वहीं, एडीएम का कहना है कि एक सप्ताह के अंदर जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी। कुमारखंड अंचल कार्यालय में रखी गई फाइलों को सील कर दिया गया है।
प्रशासन द्वारा कुमारखंड प्रखंड के करीब 10 हजार लोगों को बाढ़ पीड़ित के रूप में चिन्हित किया गया था। ऐसे लोगों को चेक के माध्यम से राशि दी जानी थी। लेकिन प्रखंड में कुछ ही पीड़ितों के बीच राशि का वितरण करने के बाद बंदरबांट कर ली गई थी। इसमें न सिर्फ अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे बल्कि कुछ जनप्रतिनिधियों के भी संलिप्त होने की आशंका है।
राशि वितरण में अनियमितता के मामले का खुलासा वर्ष 2009 में ही हो गया था। उसके बाद प्रशासन की अचानक नींद खुली और जांच शुरू हुई। लेकिन अधिकारियों की सुस्ती के कारण जांच रिपोर्ट नहीं मिल सकी। इसके बाद वर्ष 2012 में इस मामले को निगरानी के जिम्मे सौंप दिया गया। निगरानी ने जांच के लिए फाइल मांगी तो उसे फाइलें उपलब्ध नहीं कराई गईं। इसके बाद जांच आगे नहीं बढ़ पाई थी।
मुआवजा राशि वितरण में अनियमितता को लेकर सदन में भी मामला उठ चुका है। वर्ष 2013 में तत्कालीन विधायक प्रो. चंद्रशेखर ने मामले को विधानसभा उठाया था।
जिले में वर्ष 2008 में आए कोसी महाप्रलय के समय राहत के लिए राज्य सरकार से मिली धनराशि की जमकर बंटरबांट हुई थी। उस समय अधिकारियों व कर्मचारियों ने करीब 30 लाख रुपये से भी ज्यादा का गठन किया था। सबसे अधिक राशि की बंदरबांट कुमारखंड प्रखंड में हुई थी। राज्य आपदा प्रबंधन मंत्री प्रो.चंद्रशेखर ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी से जांच कराकर रिपोर्ट मांगी है। जिलाधिकारी ने एडीएम कन्हैया प्रसाद सिंह को जांच का जिम्मा सौंपा है। वहीं, एडीएम का कहना है कि एक सप्ताह के अंदर जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जाएगी। कुमारखंड अंचल कार्यालय में रखी गई फाइलों को सील कर दिया गया है।
प्रशासन द्वारा कुमारखंड प्रखंड के करीब 10 हजार लोगों को बाढ़ पीड़ित के रूप में चिन्हित किया गया था। ऐसे लोगों को चेक के माध्यम से राशि दी जानी थी। लेकिन प्रखंड में कुछ ही पीड़ितों के बीच राशि का वितरण करने के बाद बंदरबांट कर ली गई थी। इसमें न सिर्फ अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे बल्कि कुछ जनप्रतिनिधियों के भी संलिप्त होने की आशंका है।
राशि वितरण में अनियमितता के मामले का खुलासा वर्ष 2009 में ही हो गया था। उसके बाद प्रशासन की अचानक नींद खुली और जांच शुरू हुई। लेकिन अधिकारियों की सुस्ती के कारण जांच रिपोर्ट नहीं मिल सकी। इसके बाद वर्ष 2012 में इस मामले को निगरानी के जिम्मे सौंप दिया गया। निगरानी ने जांच के लिए फाइल मांगी तो उसे फाइलें उपलब्ध नहीं कराई गईं। इसके बाद जांच आगे नहीं बढ़ पाई थी।
मुआवजा राशि वितरण में अनियमितता को लेकर सदन में भी मामला उठ चुका है। वर्ष 2013 में तत्कालीन विधायक प्रो. चंद्रशेखर ने मामले को विधानसभा उठाया था।
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