Thursday, June 23, 2016

सपा से दोस्ती का इनाम, मुख्तार को मिली मनमाफिक जेल !

आगरा (सं.सू.)। आगरा जेल से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को लखनऊ जेल में शिफ्ट किया गया है। माना जा रहा है कि सपा में विलय होने के इनाम स्वरुप मुख्तार को शिफ्ट किया गया है, क्योंकि मुख्तार लंबे समय से लखनऊ जेल में शिफ्ट होना चाहते थे। हालांकि, जेल प्रबंधन ने मुख्तार अंसारी के खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया है।

सूत्रों के अनुसार, लगभग तीन साल पहले सपा सरकार ने मुख्तार को गाजीपुर जेल वापस भेजने से साफ मना कर दिया था। हालांकि, सपा सरकार ने लखनऊ जेल में शिफ्ट करने पर सहमति जतायी थी लेकिन लोकसभा चुनाव सहित अन्य मसलों पर तल्खी के कारण मुख्तार को शिफ्ट नहीं किया गया था। गौरतलब है कि विधायक मुख्तार अंसारी पिछले चार साल से आगरा केंद्रीय कारागार में बंद हैं। यहीं से उन्होंने विधानसभा और लोकसभा चुनाव भी लड़ा।

पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में प्रभाव रखने वाले कौमी एकता दल का मंगलवार को सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) में विलय कर दिया गया था। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रांतीय प्रभारी और यूपी के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कौमी एकता दल के अध्यक्ष अफजाल अंसारी के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस विलय का औपचारिक ऐलान किया था। वहीं मुख्तार अंसारी सपा ज्वाइन करेंगे या नहीं इस पर दोनों नेता चुप्पी साधे रहे थे।


एनएसजी में एंट्री के लिए भारत के लिए फ्रांस ने भी जारी की अपील
नई दिल्ली (सं.सू.)। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के भारत के प्रयासों को अमेरिका के बाद बुधवार को फ्रांस का भी पुरजोर समर्थन मिला, जिसका दो दिवसीय पूर्ण सत्र गुरुवार से सोल में शुरू होगा। विदेश सचिव एस. जयशंकर भारत की सदस्यता के मुद्दे पर बंटे 48 देशों के समूह में समर्थन जुटाने के लिए सोल पहुंच चुके हैं।

भारत का विरोध चीन यह कहकर कर रहा है कि नई दिल्ली ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं किए हैं। हालांकि वह कह रहा है कि यदि एनएसजी से भारत को छूट मिलती है तो पाकिस्तान को भी समूह की सदस्यता दी जानी चाहिए। भारत और पाकिस्तान की सदस्यता के मुद्दे पर चीन ने कहा कि यह विषय पूर्ण सत्र के एजेंडा में नहीं है। यहां भी बीजिंग ने दोनों पड़ोसी देशों के मामलों को एक साथ करके देखा जबकि उनके परमाणु अप्रसार ट्रैक रिकार्ड में अंतर है।

नई दिल्ली में अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि एनएसजी की प्रक्रिया नाजुक और जटिल है। भारत की संभावनाओं पर अटकलें नहीं लगाई जानी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग गुरुवार को ताशकंद में मुलाकात कर सकते हैं जहां वे एससीओ के सम्मेलन में भाग लेंगे। मोदी एनएसजी के विषय पर जिनपिंग से बात कर सकते हैं लेकिन गौरतलब होगा कि क्या चीन अपने रूख में बदलाव लाएगा।

एनएसजी के लिए भारत के पक्ष का करीब 20 देश समर्थन कर रहे हैं, लेकिन एनएसजी में आम-सहमति से फैसले होने के मद्देनजर भारत के सामने कठिन कार्य है। बावजूद इसके भारत को उम्मीद है जो दक्षिण कोरिया की राजधानी में जयशंकर की मौजूदगी से स्पष्ट है। इधर, फ्रांस ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा कि परमाणु नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत की सहभागिता संवेदनशील वस्तुओं के निर्यात को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में मदद करेगी, चाहे वे परमाणविक हों, रासायनिक हों, जैविक हों, बैलिस्टिक हों या परंपरागत सामग्री और प्रौद्योगिकी हों।

फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘फ्रांस मानता है कि चार बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं (एनएसजी, एमटीसीआर, द ऑस्ट्रेलिया ग्रुप और द वासेनार अरेंजमेंट) में भारत का प्रवेश परमाणु प्रसार से लड़ने में अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को मजबूत करेगा।’ मंत्रालय ने कहा, ‘एनएसजी में पूर्णकालिक सदस्य के तौर पर भारत के प्रवेश के सक्रिय और दीर्घकालिक समर्थन की दिशा में फ्रांस सोल में 23 जून को बैठक कर रहे इसके सदस्यों से सकारात्मक निर्णय लेने का आह्वान करता है।’

इससे पहले अमेरिका ने मंगलवार को एक बयान में कहा था कि भारत एनएसजी की सदस्यता के लिए तैयार है। अमेरिका ने सहभागी सरकारों से कल सोल में शुरू हो रहे एनएसजी के पूर्ण सत्र में भारत के आवेदन का समर्थन करने को कहा था।

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