पटना (सं.सू.)। सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने आरोप लगाया है कि
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह और
बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के पूर्व कुलपति मेवालाल चौधरी की नियुक्ति
में मोटी रकम का लेन-देन हुआ है और नियुक्ति के मामले में जातीय सरोकार का
भी ध्यान रखा गया है। इन पदों पर नियुक्ति मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री की
सहमति के बाद ही होती है। श्री यादव ने मांग की है कि इसलिए तत्कालीन
मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के खिलाफ भी उन्हीं धाराओं के तहत मुकदमा
होना चाहिए, जिन धाराओं के तहत लालकेश्वर प्रसाद सिंह के खिलाफ प्राथमिकी
दर्ज हुई है। आज उन्होंने पटना में पत्रकारों से कहा कि इंटर टॉपर घोटाले
में लालकेश्वर प्रसाद सिंह, पूर्व विधायक ऊषा सिन्हा या बच्चा राय की छोटी
भूमिका है। जिनकी बड़ी भूमिका है, उन्हें सरकार बचा रही है। तत्कालीन
मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री के कार्यकलापों और संपत्ति की भी जांच की जानी
चाहिए।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि मलाईदार पदों पर नियुक्ति में पैसों का बड़ा खेल होता है और उसका सीधा संबंध सत्ताशीर्ष पर बैठे लोगों से होता है। लालकेश्वर प्रसाद सिंह के साथ ही बच्चा राय के फोन का भी डिटेल निकाला जाए, ताकि स्पष्ट हो सके कि घोटाले का सूत्र कहां से जुड़ा हुआ है। श्री यादव का आरोप है कि विधायक अनंत सिंह, राजवल्लभ यादव, गोपाल मंडल, प्रदीप महतो को सरकार बचा रही है। सरकार के एक पूर्व मंत्री विधायक अनंत सिंह का मुकदमा लड़ रहे हैं, ताकि उन्हें बचाया जा सके।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि मलाईदार पदों पर नियुक्ति में पैसों का बड़ा खेल होता है और उसका सीधा संबंध सत्ताशीर्ष पर बैठे लोगों से होता है। लालकेश्वर प्रसाद सिंह के साथ ही बच्चा राय के फोन का भी डिटेल निकाला जाए, ताकि स्पष्ट हो सके कि घोटाले का सूत्र कहां से जुड़ा हुआ है। श्री यादव का आरोप है कि विधायक अनंत सिंह, राजवल्लभ यादव, गोपाल मंडल, प्रदीप महतो को सरकार बचा रही है। सरकार के एक पूर्व मंत्री विधायक अनंत सिंह का मुकदमा लड़ रहे हैं, ताकि उन्हें बचाया जा सके।
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