नई दिल्ली (सं.सू.)। बीजेपी और शिवसेना के बीच तकरार लगातार होती जा रही है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए लगातार बीजेपी और प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है. लेकिन, इस बार बीजेपी ने जोरदार जवाब दिया है. यहां तक कि बीजेपी ने तो शिवसेना से ‘तलाक’ तक की बात कह दी है. यही नहीं शिवसेना प्रमुख को टिप्पणी भी कर दी है.
शिवसेना और बीजेपी के बीच वाक् युद्ध उस वक्त और तेज हो गया जब बीजेपी के एक प्रकाशन में प्रकाशित अपने लेख में एक बीजेपी नेता ने उद्धव ठाकरे की पार्टी को ‘तलाक’लेने की चुनौती दे दी. बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई के प्रकाशन ‘मनोगत’में पार्टी के महाराष्ट्र प्रवक्ता माधव भंडारी ने लेख लिखा है.
उन्होंने ‘आप तलाक कब ले रहे हैं, श्रीमान राउत’ नामक शीषर्क से एक लेख लिखा है. इस लेख में शिवसेना को गठबंधन से अलग होने की चुनौती दी गई है. दोनों पार्टियों के कई वर्ष पुराने गठबंधन में बीजेपी की ओर से किए गए त्याग का उल्लेख किया गया है.
साथ ही शिवसेना को शोले फ़िल्म में जेलर का मशहूर किरदार निभाने वाले अभिनेता असरानी का सिन भी याद दिलाया है. उद्धव ठाकरे का नाम न लेते हुए कहा है कि पार्टी प्रमुख को डर है की कहीं तलाक का फैसला लिया तो उनके पीछे कोई विधायक नहीं रहेगा.
सामना के संपादक और सांसद संजय राउत ने अपने एक भाषण मे केंद्र और राज्य सरकार की तुलना निजाम के बाप से की थी. इसी बयान पर इस लेख में खुलकर आपत्ति जतायी गयी है.
शिवसेना के सांसद संजय राउत के ‘निजाम’वाले बयान को लेकर इस लेख में उन पर निशाना साधा गया है. लेख में कहा गया, ‘‘एक तरफ वे उसी ‘निजाम’ के दिए प्लेट में ‘बिरयानी’ खाते हैं और दूसरी तरफ हमारी आलोचना करते हैं. उनको केंद्र और राज्य में मंत्रालय मिले हुए हैं.
उसी ‘निजाम’ की मदद से सत्ता का सुख भोग रहे हैं और फिर बीजेपी को बुरा-भला कहते हैं. इसे कृतघ्नता कहते हैं.’’ बीजेपी के प्रकाशन के इस लेख में कहा गया है, ‘‘अगर वे ‘निजाम’ से इतने पीड़ित महसूस करते हैं तो बाहर क्यों नहीं निकल जाते. परंतु वे साहस नहीं दिखाते.’’
राउत ने हाल ही में कहा था कि केंद्र और महाराष्ट्र में बीजेपी नीत सरकारें निजाम की सरकार से भी बदतर हैं. भंडारी ने कहा, ‘‘वे हमारे साथ बैठते है, हमारे साथ खाते हैं और फिर हम पर हमले भी करते हैं. बेहतर होगा कि निजाम के पिता से तलाक ले लिया जाए. इसलिए श्रीमान राउत आप तलाक कब ले रहे हैं?’’
राउत के कथित पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए लेख में कहा गया है कि राउत को लगता है कि मौजूदा सरकार ने बहुत अन्याय किया है. और उनको महाराष्ट्र में ‘जल युक्त शिवार’ के माध्यम से किए गए बहुत सारे काम भी दिखाई नहीं दिखाई देता.
चुनावों में बीजेपी के बेहतर प्रदर्शन का जिक्र करते हुए लेख में कहा गया, ‘‘1995 में बीजेपी ने 117 सीटों पर चुनाव लड़ा और 65 जीती. 2009 में कम सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद बीजेपी ने शिवसेना से अधिक सीटें जीतीं.’’
भंडारी ने कहा, ‘‘संजय राउत और शिवसेना पक्षप्रमुख इस तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं कि उनकी ताकत कम हो रही है और इसीलिए वे परेशान हैं. उनको बदलते राजनीतिक हालात को स्वीकार करना चाहिए और हमें जिम्मेदार ठहराना बंद करना चाहिए.’’
उनके लेख में कहा गया, ‘‘हमने औरंगाबाद और कल्याण-डोंबीवली चुनावों में शिवसेना को पीछे छोड़ दिया. मतदाता बीजेपी को मजबूत विकल्प के तौर पर मान रहे हैं और यही शिवसेना को सबसे ज्यादा चुभ रहा है.’’ इस लेख में आगे कहा गया है कि बीजेपी ने कई त्याग किए जैसे उसने अतीत में पुणे, ठाणे और गुहागढ़ जैसे क्षेत्रों को शिवसेना के लिए छोड़ दिया जबकि इन जगहों से भाजपा चुनाव जीतती थी.
अपने लेख का बचाव करते हुए भंडारी ने कहा, ‘‘पहले हम ऐसी चीजों को नजरअंदाज कर दिया करते थे लेकिन अब उन्होंने विनम्रता की सारी सीमाएं लांघ दी हैं. हमारे हालिया राज्य सम्मेलन में इस पर चर्चा हुई थी. अब हम उनको सीधे तौर पर बताना चाहते हैं कि अगर उन्हें ठीक नहीं लगता तो वे अपना खुद का रास्ता तलाश लें.’’
शिवसेना और बीजेपी के बीच वाक् युद्ध उस वक्त और तेज हो गया जब बीजेपी के एक प्रकाशन में प्रकाशित अपने लेख में एक बीजेपी नेता ने उद्धव ठाकरे की पार्टी को ‘तलाक’लेने की चुनौती दे दी. बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई के प्रकाशन ‘मनोगत’में पार्टी के महाराष्ट्र प्रवक्ता माधव भंडारी ने लेख लिखा है.
उन्होंने ‘आप तलाक कब ले रहे हैं, श्रीमान राउत’ नामक शीषर्क से एक लेख लिखा है. इस लेख में शिवसेना को गठबंधन से अलग होने की चुनौती दी गई है. दोनों पार्टियों के कई वर्ष पुराने गठबंधन में बीजेपी की ओर से किए गए त्याग का उल्लेख किया गया है.
साथ ही शिवसेना को शोले फ़िल्म में जेलर का मशहूर किरदार निभाने वाले अभिनेता असरानी का सिन भी याद दिलाया है. उद्धव ठाकरे का नाम न लेते हुए कहा है कि पार्टी प्रमुख को डर है की कहीं तलाक का फैसला लिया तो उनके पीछे कोई विधायक नहीं रहेगा.
सामना के संपादक और सांसद संजय राउत ने अपने एक भाषण मे केंद्र और राज्य सरकार की तुलना निजाम के बाप से की थी. इसी बयान पर इस लेख में खुलकर आपत्ति जतायी गयी है.
शिवसेना के सांसद संजय राउत के ‘निजाम’वाले बयान को लेकर इस लेख में उन पर निशाना साधा गया है. लेख में कहा गया, ‘‘एक तरफ वे उसी ‘निजाम’ के दिए प्लेट में ‘बिरयानी’ खाते हैं और दूसरी तरफ हमारी आलोचना करते हैं. उनको केंद्र और राज्य में मंत्रालय मिले हुए हैं.
उसी ‘निजाम’ की मदद से सत्ता का सुख भोग रहे हैं और फिर बीजेपी को बुरा-भला कहते हैं. इसे कृतघ्नता कहते हैं.’’ बीजेपी के प्रकाशन के इस लेख में कहा गया है, ‘‘अगर वे ‘निजाम’ से इतने पीड़ित महसूस करते हैं तो बाहर क्यों नहीं निकल जाते. परंतु वे साहस नहीं दिखाते.’’
राउत ने हाल ही में कहा था कि केंद्र और महाराष्ट्र में बीजेपी नीत सरकारें निजाम की सरकार से भी बदतर हैं. भंडारी ने कहा, ‘‘वे हमारे साथ बैठते है, हमारे साथ खाते हैं और फिर हम पर हमले भी करते हैं. बेहतर होगा कि निजाम के पिता से तलाक ले लिया जाए. इसलिए श्रीमान राउत आप तलाक कब ले रहे हैं?’’
राउत के कथित पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए लेख में कहा गया है कि राउत को लगता है कि मौजूदा सरकार ने बहुत अन्याय किया है. और उनको महाराष्ट्र में ‘जल युक्त शिवार’ के माध्यम से किए गए बहुत सारे काम भी दिखाई नहीं दिखाई देता.
चुनावों में बीजेपी के बेहतर प्रदर्शन का जिक्र करते हुए लेख में कहा गया, ‘‘1995 में बीजेपी ने 117 सीटों पर चुनाव लड़ा और 65 जीती. 2009 में कम सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद बीजेपी ने शिवसेना से अधिक सीटें जीतीं.’’
भंडारी ने कहा, ‘‘संजय राउत और शिवसेना पक्षप्रमुख इस तथ्य को पचा नहीं पा रहे हैं कि उनकी ताकत कम हो रही है और इसीलिए वे परेशान हैं. उनको बदलते राजनीतिक हालात को स्वीकार करना चाहिए और हमें जिम्मेदार ठहराना बंद करना चाहिए.’’
उनके लेख में कहा गया, ‘‘हमने औरंगाबाद और कल्याण-डोंबीवली चुनावों में शिवसेना को पीछे छोड़ दिया. मतदाता बीजेपी को मजबूत विकल्प के तौर पर मान रहे हैं और यही शिवसेना को सबसे ज्यादा चुभ रहा है.’’ इस लेख में आगे कहा गया है कि बीजेपी ने कई त्याग किए जैसे उसने अतीत में पुणे, ठाणे और गुहागढ़ जैसे क्षेत्रों को शिवसेना के लिए छोड़ दिया जबकि इन जगहों से भाजपा चुनाव जीतती थी.
अपने लेख का बचाव करते हुए भंडारी ने कहा, ‘‘पहले हम ऐसी चीजों को नजरअंदाज कर दिया करते थे लेकिन अब उन्होंने विनम्रता की सारी सीमाएं लांघ दी हैं. हमारे हालिया राज्य सम्मेलन में इस पर चर्चा हुई थी. अब हम उनको सीधे तौर पर बताना चाहते हैं कि अगर उन्हें ठीक नहीं लगता तो वे अपना खुद का रास्ता तलाश लें.’’
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