नई दिल्ली (सं.सू.)। झारखण्ड के खूंटी से सांसद करिया मुंडा की बेटी भी अब
अपने पिता की राह पर चलती नजर आ रही है। पिता करिया मुंडा के सादगी भरे
जीवन जीने की आदत से प्रेरित होकर उनकी मास्टरनी बिटिया चन्द्रावती सारू
अपने बाग़ में हुए आम को सड़क के किनारे बैठकर बेचने में जरा भी शर्म नहीं कर
रही है। उनके इस सादगी भरे जीवन को देखकर वह राज्य की जनता के बीच चर्चा
का विषय बन गई है।
जिधर देखो उधर इसी बात की चर्चा चल रही है कि इतने बड़े नेता की बेटी होकर भी चन्द्रावती सारू अपने पिता की तरह ही सरल स्वभाव और सादगी भरा जीवन जी रही है। मालूम हो कि झारखंड में अगर ईमानदार नेताओं की बात निकलती है तो उसमें सबसे पहला नाम लोकसभा पूर्व उपाध्य्क्ष और वर्तामन में झारखण्ड के खूंटी जिले से सांसद करिया मुंडा का ही नाम आता है। आठ बार सांसद और लोकसभा के डिप्टी स्पीकर रह चुके कड़िया मुंडा की बेटी चंद्रावती सारू पेशे से शिक्षिका हैं। बगीचे में जरूरत से ज्यादा आम हुए हैं तो उन्हें सड़क किनारे बैठकर बेचने में यह बात आड़े नहीं आई कि वे झारखंड के बड़े नेता की बेटी हैं।
दो बार विधायक और आठ बार सांसद रहे करिया चार बार केंद्रीय मंत्री रह चुके है। मगर उनका व्यक्तिगत जीवन बिल्कुल वैसा ही जैसा अब से चार दशक पहले था, जब वह पहली बार सांसद चुने गए थे। उनका जीवन आज के राजनेताओं के लिए एक मिसाल है। वह आदिवासियों के झारखंड से संसद में अकेले प्रतिनिधि हैं। बताया जाता है कि आज भी वह गांव आते हैं तो वैसे ही खेतों में हल-कुदाल चलाते हैं, तालाब में नहाते हैं। जैसे पहले नहाया करते थे।
फिलहाल अब उनकी बेटी भी अपने पिता की राह पर चल निकली है। चन्द्रावती ने बताया कि वह आम बिक्री से जो पैसा आता है उससे परेशान गरीब लोगों की मदद करती हैं। वे बताती है कि नक्सली हिंसा के लिए देश के सबसे खतरनाक खूंटी जिले में नक्सलवाद का दंश सबसे अधिक खूंटी की युवा पीढ़ी ही झेल रही है और वह अपने इस प्रयास को बहुत आगे तक ले जाना चाहती है। दरअसल वह नई पीढ़ी के युवाओं को यह संदेश देना चाहती है की खेती करने में उन्हें शर्म नहीं करनी चाहिए। बहरहाल आज के दौर में जहां युवा पीढ़ी खेती से किनारा कर शहरों की तरफ अपना रुख करने में लगे है, वहीं चंद्रावती सारू करिया मुंडा की बेटी होने के बावजूद अपने परम्परिक वजूद को बचाने में लगी हुई है।
जिधर देखो उधर इसी बात की चर्चा चल रही है कि इतने बड़े नेता की बेटी होकर भी चन्द्रावती सारू अपने पिता की तरह ही सरल स्वभाव और सादगी भरा जीवन जी रही है। मालूम हो कि झारखंड में अगर ईमानदार नेताओं की बात निकलती है तो उसमें सबसे पहला नाम लोकसभा पूर्व उपाध्य्क्ष और वर्तामन में झारखण्ड के खूंटी जिले से सांसद करिया मुंडा का ही नाम आता है। आठ बार सांसद और लोकसभा के डिप्टी स्पीकर रह चुके कड़िया मुंडा की बेटी चंद्रावती सारू पेशे से शिक्षिका हैं। बगीचे में जरूरत से ज्यादा आम हुए हैं तो उन्हें सड़क किनारे बैठकर बेचने में यह बात आड़े नहीं आई कि वे झारखंड के बड़े नेता की बेटी हैं।
दो बार विधायक और आठ बार सांसद रहे करिया चार बार केंद्रीय मंत्री रह चुके है। मगर उनका व्यक्तिगत जीवन बिल्कुल वैसा ही जैसा अब से चार दशक पहले था, जब वह पहली बार सांसद चुने गए थे। उनका जीवन आज के राजनेताओं के लिए एक मिसाल है। वह आदिवासियों के झारखंड से संसद में अकेले प्रतिनिधि हैं। बताया जाता है कि आज भी वह गांव आते हैं तो वैसे ही खेतों में हल-कुदाल चलाते हैं, तालाब में नहाते हैं। जैसे पहले नहाया करते थे।
फिलहाल अब उनकी बेटी भी अपने पिता की राह पर चल निकली है। चन्द्रावती ने बताया कि वह आम बिक्री से जो पैसा आता है उससे परेशान गरीब लोगों की मदद करती हैं। वे बताती है कि नक्सली हिंसा के लिए देश के सबसे खतरनाक खूंटी जिले में नक्सलवाद का दंश सबसे अधिक खूंटी की युवा पीढ़ी ही झेल रही है और वह अपने इस प्रयास को बहुत आगे तक ले जाना चाहती है। दरअसल वह नई पीढ़ी के युवाओं को यह संदेश देना चाहती है की खेती करने में उन्हें शर्म नहीं करनी चाहिए। बहरहाल आज के दौर में जहां युवा पीढ़ी खेती से किनारा कर शहरों की तरफ अपना रुख करने में लगे है, वहीं चंद्रावती सारू करिया मुंडा की बेटी होने के बावजूद अपने परम्परिक वजूद को बचाने में लगी हुई है।
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