पटना (सं.सू.)। कल बीपीएससी मुख्य परीक्षा के अभ्यर्थियों के द्वारा बिहार लोक सेवा आयोग कार्यालय के सामने धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया। आयोजन का नेतृत्व नागरिक अधिकार मंच के शिव प्रकाश राय ने किया।
उन्होंने बताया कि बिहार लोक सेवा आयोग ने दिनांक 8 जुलाई से 30 जुलाई के बीच 56वीं-59वीं सम्मिलित संयुक्त मुख्य परीक्षा के आयोजन की अधिसूचना जारी की है। संघ लोक सेवा आयोग के प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन 7 अगस्त को पूर्व-निर्धारित है। बिहार लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा तथा संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा का पैटर्न एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। मात्र सात दिनों के अंतराल में बीपीएससी अभ्यर्थी विभिन्न शहरों में आयोजित संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल होने हेतु यात्राओं में ही उलझे रह जायेंगे। उन्हें पढ़ाई का मौका नहीं मिल पाएगा और इससे सर्वाधिक हानि बिहारी छात्रों को उठानी पड़ेगी।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने यूपीपीएससी की तिथि में बदलाव कर दिया और अपने छात्रों को राहत दी। बिहार सरकार तथा खासकर बिहार लोक सेवा आयोग को भी चाहिए कि वह मुख्य परीक्षा का आयोजन संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा के कम से कम एक माह बाद कराए।
श्री राय के अनुसार बिहार लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा में बहुत सारे अभ्यर्थी ऐसे हैं जिनका संघ लोक सेवा आयोग का यह अंतिम प्रयास है। उनके हितों का ध्यान रखना सरकार का कर्तव्य भी है। वैसे भी यूपीएससी की नई परीक्षा पद्धति के कारण हिन्दी भाषी क्षेत्रों से सफल होने वालों की संख्या पूर्व की अपेक्षा काफी कम हो गई है, अगर बिहार लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा की तिथि नहीं बढ़ाई गई तो यूपीएससी में बिहारी छात्रों का प्रदर्शन अत्यंत चिंताजनक होने की संभावना रहेगी।
पूर्व में तिथि-विस्तारण हेतु मिलने गए छात्र-प्रतिनिधियों से बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष महोदय ने ऐसे 1000 छात्रों के क्रमांक तथा प्रवेश-पत्र/कागजात सहित प्रमाण जमा करने को कहे जो BPSC तथा UPSC दोनों परीक्षाओं में शामिल हो रहे हों और तिथि-विस्तारण चाहते हों। छात्र-प्रतिनिधियों ने ऐसे 1500 छात्रों के हस्ताक्षरित आवेदन/ईमेल कागजातों सहित सौंपने पहुँचे तो मनमानी रवैये के तहत छात्र-प्रतिनिधियों को आयोग कार्यालय से दुर्व्यवहार कर भगा दिया गया।
उपरोक्त तथ्यों के आलोक में आग्रह है कि बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सम्मिलित संयुक्त मुख्य परीक्षा को संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा के बाद आयोजित कर छात्रों को दोनों परीक्षाओं में सहजता से सम्मिलित होने का अवसर प्रदान किया जाए।
उन्होंने बताया कि बिहार लोक सेवा आयोग ने दिनांक 8 जुलाई से 30 जुलाई के बीच 56वीं-59वीं सम्मिलित संयुक्त मुख्य परीक्षा के आयोजन की अधिसूचना जारी की है। संघ लोक सेवा आयोग के प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन 7 अगस्त को पूर्व-निर्धारित है। बिहार लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा तथा संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा का पैटर्न एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। मात्र सात दिनों के अंतराल में बीपीएससी अभ्यर्थी विभिन्न शहरों में आयोजित संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में शामिल होने हेतु यात्राओं में ही उलझे रह जायेंगे। उन्हें पढ़ाई का मौका नहीं मिल पाएगा और इससे सर्वाधिक हानि बिहारी छात्रों को उठानी पड़ेगी।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने यूपीपीएससी की तिथि में बदलाव कर दिया और अपने छात्रों को राहत दी। बिहार सरकार तथा खासकर बिहार लोक सेवा आयोग को भी चाहिए कि वह मुख्य परीक्षा का आयोजन संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा के कम से कम एक माह बाद कराए।
श्री राय के अनुसार बिहार लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा में बहुत सारे अभ्यर्थी ऐसे हैं जिनका संघ लोक सेवा आयोग का यह अंतिम प्रयास है। उनके हितों का ध्यान रखना सरकार का कर्तव्य भी है। वैसे भी यूपीएससी की नई परीक्षा पद्धति के कारण हिन्दी भाषी क्षेत्रों से सफल होने वालों की संख्या पूर्व की अपेक्षा काफी कम हो गई है, अगर बिहार लोक सेवा आयोग की मुख्य परीक्षा की तिथि नहीं बढ़ाई गई तो यूपीएससी में बिहारी छात्रों का प्रदर्शन अत्यंत चिंताजनक होने की संभावना रहेगी।
पूर्व में तिथि-विस्तारण हेतु मिलने गए छात्र-प्रतिनिधियों से बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष महोदय ने ऐसे 1000 छात्रों के क्रमांक तथा प्रवेश-पत्र/कागजात सहित प्रमाण जमा करने को कहे जो BPSC तथा UPSC दोनों परीक्षाओं में शामिल हो रहे हों और तिथि-विस्तारण चाहते हों। छात्र-प्रतिनिधियों ने ऐसे 1500 छात्रों के हस्ताक्षरित आवेदन/ईमेल कागजातों सहित सौंपने पहुँचे तो मनमानी रवैये के तहत छात्र-प्रतिनिधियों को आयोग कार्यालय से दुर्व्यवहार कर भगा दिया गया।
उपरोक्त तथ्यों के आलोक में आग्रह है कि बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सम्मिलित संयुक्त मुख्य परीक्षा को संघ लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा के बाद आयोजित कर छात्रों को दोनों परीक्षाओं में सहजता से सम्मिलित होने का अवसर प्रदान किया जाए।
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