नई दिल्ली (सं.सू.)। केंद्र सरकार ने अपने एक करोड़ कर्मचारियों और पेंशनरों को बेमौसम दीवाली मनाने का बहाना दे दिया है। कैबिनेट ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को बुधवार को स्वीकार कर लिया। इससे सीधे तौर पर केंद्र सरकार के 47 लाख कर्मियों के वेतन और लगभग 53 लाख पेंशनरों की पेंशन में अच्छी खासी बढ़ोतरी होगी। बढ़े हुए वेतन और भत्ते में बढ़ोतरी का फैसला पहली जनवरी, 2016 से लागू होगा।
सरकार ने कहा है कि हर तरह के बकाया राशि की अदायगी दिसंबर, 2016 तक कर दी जाएगी। इस फैसले का पूरी अर्थव्यवस्था पर बहुआयामी असर पड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं क्योंकि केंद्र सरकार पर सालाना 1,02,100 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।1प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक के फैसलों के बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जनवरी से मार्च, 2016 तक के बकाये भत्ते का भुगतान के तौर पर 12 हजार करोड़ रुपये का बोझ सरकार पर आएगा। इस तरह से चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार पर 1,14,000 करोड़ रुपये का बोझ आएगा। लेकिन इससे वित्तीय संतुलन पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि बजटीय गणना में इसका समायोजन पहले ही किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन में 2.57 गुना बढ़ोतरी की जो सिफारिश की थी, उसे स्वीकार कर लिया गया है। इससे केंद्र की नौकरियों में शुरुआती न्यूनतम वेतन की राशि 7,000 रुपये मासिक से बढ़ कर अब 18 हजार रुपये हो जाएगी। क्लास-वन अधिकारियों का शुरुआती मासिक वेतन 56,100 रुपये का होगा। साथ ही अधिकतम वेतन को नब्बे हजार रुपये से बढ़ाकर ढाई लाख रुपये कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि आयोग की अधिकांश सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है। लेकिन दो मुद्दों पर अलग से समितियां गठित की गई हैं।1इनमें से एक समिति वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद विभिन्न पदों और विभिन्न वर्गो के कर्मचारियों के वेतनमान में जो विसंगतियां आती हैं, उन्हें दूर करने पर सिफारिश देगी। एक अन्य समिति नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) को और आकर्षक बनाने पर सुझाव देने के लिए गठित की गई है। स
रकार ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को एनपीएस देना चाहती है इसलिए इसे और बेहतर बनाने की जरुरत महसूस कर रही है। उन्होंने इस बात के भी साफ संकेत दिए कि अभी जितने तरह के भत्ते केंद्रीय कर्मियों को मिल रहे हैं, उन्हें अब ज्यादा दिनों तक जारी नहीं रखा जा सकता। वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति सरकारी भत्तों को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए बनाई गई है। अभी 196 तरह के भत्ते लागू हैं। लेकिन वेतन आयोग ने इनमें से 53 को खत्म करने की सिफारिश की है। हालांकि भत्तों पर समिति का फैसला आने तक मौजूदा भत्ते आदि लागू रहेंगे। जेटली ने बताया कि निजी और सरकारी क्षेत्र के बीच वेतनमान में बढ़ रहे अंतर को खत्म करना जरूरी है ताकि बेहतर प्रतिभाओं को सरकारी नौकरियों की तरफ आकर्षित किया जा सके। सरकार ने पहले सेना के लोगों के लिए ओआरओपी लागू कर और अब न्यायाधीश ए के माथुर की अध्यक्षता में गठित सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर सरकारी नौकरियों के आकर्षण को बनाए रखने की कोशिश की है।
सरकार ने कहा है कि हर तरह के बकाया राशि की अदायगी दिसंबर, 2016 तक कर दी जाएगी। इस फैसले का पूरी अर्थव्यवस्था पर बहुआयामी असर पड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं क्योंकि केंद्र सरकार पर सालाना 1,02,100 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।1प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक के फैसलों के बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जनवरी से मार्च, 2016 तक के बकाये भत्ते का भुगतान के तौर पर 12 हजार करोड़ रुपये का बोझ सरकार पर आएगा। इस तरह से चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार पर 1,14,000 करोड़ रुपये का बोझ आएगा। लेकिन इससे वित्तीय संतुलन पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि बजटीय गणना में इसका समायोजन पहले ही किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन में 2.57 गुना बढ़ोतरी की जो सिफारिश की थी, उसे स्वीकार कर लिया गया है। इससे केंद्र की नौकरियों में शुरुआती न्यूनतम वेतन की राशि 7,000 रुपये मासिक से बढ़ कर अब 18 हजार रुपये हो जाएगी। क्लास-वन अधिकारियों का शुरुआती मासिक वेतन 56,100 रुपये का होगा। साथ ही अधिकतम वेतन को नब्बे हजार रुपये से बढ़ाकर ढाई लाख रुपये कर दिया गया है।
उन्होंने बताया कि आयोग की अधिकांश सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है। लेकिन दो मुद्दों पर अलग से समितियां गठित की गई हैं।1इनमें से एक समिति वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद विभिन्न पदों और विभिन्न वर्गो के कर्मचारियों के वेतनमान में जो विसंगतियां आती हैं, उन्हें दूर करने पर सिफारिश देगी। एक अन्य समिति नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) को और आकर्षक बनाने पर सुझाव देने के लिए गठित की गई है। स
रकार ज्यादा से ज्यादा कर्मचारियों को एनपीएस देना चाहती है इसलिए इसे और बेहतर बनाने की जरुरत महसूस कर रही है। उन्होंने इस बात के भी साफ संकेत दिए कि अभी जितने तरह के भत्ते केंद्रीय कर्मियों को मिल रहे हैं, उन्हें अब ज्यादा दिनों तक जारी नहीं रखा जा सकता। वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति सरकारी भत्तों को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए बनाई गई है। अभी 196 तरह के भत्ते लागू हैं। लेकिन वेतन आयोग ने इनमें से 53 को खत्म करने की सिफारिश की है। हालांकि भत्तों पर समिति का फैसला आने तक मौजूदा भत्ते आदि लागू रहेंगे। जेटली ने बताया कि निजी और सरकारी क्षेत्र के बीच वेतनमान में बढ़ रहे अंतर को खत्म करना जरूरी है ताकि बेहतर प्रतिभाओं को सरकारी नौकरियों की तरफ आकर्षित किया जा सके। सरकार ने पहले सेना के लोगों के लिए ओआरओपी लागू कर और अब न्यायाधीश ए के माथुर की अध्यक्षता में गठित सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर सरकारी नौकरियों के आकर्षण को बनाए रखने की कोशिश की है।
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